कबीरधाम :महिला एवं बाल विकास विभाग निष्क्रिय,बाल विवाह रोकने में लाचार
कबीरधाम :महिला एवं बाल विकास विभाग निष्क्रिय,बाल विवाह रोकने में लाचार
कवर्धा : देवउठनी एकादशी 11 व 12 नवंबर को मनाई जाएगी जिसके बाद से हिन्दू धर्म के अनुसार विवाह कार्य का शुरुआत होता है। कबीरधाम जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग निष्क्रिय नजर आ रही। लगातार बाल विवाह वनांचल से लेकर मैदानी इलाका के साथ साथ शहरों में भी हो रहा है।
जिसके चलते कानून व्यवस्था में लाचारी आने का कारण सिर्फ और सिर्फ महिला बाल विकास विभाग है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में स्पष्ट रूप से विधि में अंगीकार करते हुए यह कानून व्यवस्था बनाया गया है कि किसी भी भारतीय संस्कृति और भारत देश के अधीन नागरिक को विवाह करने के लिए निर्धारित उम्र लड़का 21 वर्ष तथा लड़की की उम्र 18 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात ही विवाह करना और करना सुनिश्चित है।
इस बाल विवाह को रोकने दी गई महिला बाल विकास विभाग को जिम्मेदारी
केंद्र सरकार व राज्य सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग को अनेक सुविधाओं का अंबार लगा रही फिर भी अधिकारी मगरमच्छ की भांति या कुबेर की खजाने में रहने वाले सर्प की तरह अपनी लाभ केवल मात्र के सिवा कुछ नहीं कर पा रहा है।
करोड़ो अरबों की खर्च का भुगतान के बावजूद सरकार के नाक में दम
महिला बाल विकास विभाग में गांव, शहर, कस्बों तथा वार्डों में भी आंगन बाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका का चयन हुआ है जिससे सामाजिक गतिविधि तथा उनके देखभाल,विकास पर अनुपूरक को पूरक करने की कोशिश किया जा सके वही समाज में फैले अशिक्षा के चलते होने वाले कुरीति व सरकार की कानून का पालन हो सके।
पर इस सरकार की बुनियादी व महत्वकांक्षी योजना, कानून बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का पालन हो। विडंबना जिला में इस विभाग में बैठे गणेश यानी बुद्धि का देवता अथवा कम्प्यूटर की माउस की तरह हुनर रखते हुए सरकार की आंखों में मात्र धूल चटाने का कार्य कर रही है जो वास्तव में देश की प्रगति के साथ साथ राज्य की स्वास्थ्य,जनसंख्या सहित महिला तथा बाल का विकास तो नहीं कर पा रहा है पर विनाश की ओर ज्यादा ले जा रहा है।
जिला प्रशासन को इस विषय पर अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग करते हुए जिला महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी को बदलने या उसे कड़ाई से इस विषय पर संज्ञान लेने की हिदायत दी जानी चाहिए जिससे राज्य, देश व समाज का विकास हो सके।